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धरना स्थल खाली करने के आदेश पर प्रदर्शनकारियों का विरोध, कहा आवाज दबाने की कोशिश

रायपुर, 19 अक्टूबर 2024 – नया रायपुर के तुता स्थित धरना स्थल पर अपनी जायज़ मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे विभिन्न संगठनों को कलेक्टर द्वारा स्थल खाली करने का आदेश दिया गया है। आदेश में आचार संहिता और निर्माण कार्यों का हवाला देते हुए धरना स्थल तुरंत खाली करने की बात कही गई है। हालांकि, प्रदर्शनकारी संगठनों ने इस आदेश को तानाशाही करार दिया है और इसे मानने से इनकार कर दिया है।



धरना स्थल खाली करने का आदेश

रायपुर कलेक्टर गौरव कुमार सिंह ने धरना स्थल पर चल रही अव्यवस्थाओं और जरूरी मरम्मत कार्यों का हवाला देते हुए धरना खत्म करने का आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि धरना स्थल पर दरवाजों, बिजली की लाइट्स, और नलों की तोड़फोड़ हो गई है, जिससे प्रदर्शनकारियों को असुविधा हो रही है। इसे सुधारने के लिए नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण से पत्राचार किया गया है, और मरम्मत कार्य शुरू करने से पहले स्थल को खाली करवाना आवश्यक है।


प्रदर्शनकारियों का विरोध

प्रदर्शन कर रहे संगठन इस आदेश का सख्त विरोध कर रहे हैं। कंप्यूटर ऑपरेटर संघ के अध्यक्ष ऋषिकांत मोहरे ने कहा, "यह तानाशाही आदेश है और हम इसका पालन नहीं करेंगे। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती, हम हड़ताल जारी रखेंगे। इतनी बड़ी जगह है, जहां रिपेयरिंग कार्य हमारी उपस्थिति में हो सकता है।"



डीएड अभ्यर्थियों ने भी आदेश का विरोध किया है। उन्होंने कहा, "हम पिछले दो साल से अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। यह आदेश हमारी आवाज़ को दबाने के लिए एक साजिश है। जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होतीं, हम धरना स्थल खाली नहीं करेंगे।"


आचार संहिता पर विवाद

आदेश में आचार संहिता का हवाला दिया गया है, लेकिन प्रदर्शनकारी संगठनों का दावा है कि आचार संहिता सिर्फ रायपुर दक्षिण क्षेत्र में लागू है, न कि नया रायपुर में। डीएड अभ्यर्थियों ने कहा, "यह सिर्फ एक बहाना है ताकि हमारी हड़ताल को खत्म किया जा सके।"


कंप्यूटर ऑपरेटर संघ की छोटी सी मांग 

इस बीच, समर्थन मूल्य धान खरीदी कंप्यूटर ऑपरेटर संघ केवल अपने विभाग निश्चित करने की मांग को लेकर 1माह से आंदोलनरत है। इस आदेश के विरोध में खड़े हैं। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता, वे धरना स्थल से नहीं हटेंगे। जब हम यहां अपनी जायज मांगों के लिए खड़े हैं, तो सरकार फिर से हमें हटाने का प्रयास कर रही है। यह केवल हमारे संघर्ष को खत्म करने की साजिश है।"


समाधान की जरूरत

जहां एक ओर प्रशासन मरम्मत कार्यों के लिए धरना स्थल खाली कराने पर अड़ा हुआ है, वहीं प्रदर्शनकारी अपनी मांगों के प्रति अडिग हैं। अब देखना यह है कि इस टकराव का समाधान किस तरह निकलता है और क्या सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच कोई समझौता हो पाता है।


प्रदर्शनकारी विभिन्न संगठनों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की है। पूर्व शासन द्वारा पहले हमें रायपुर के मुख्य धरना स्थल, बूढ़ा तालाब, से हटा कर इस सुनसान जंगल में भेज दिया गया ताकि हमारी आवाज़ को दबाया जा सके। 


आदेश को बताया तानाशाही और अनैतिक

प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन के इस आदेश को तानाशाही और अन्यायपूर्ण करार दिया। उनका कहना है कि धरना स्थल पर मरम्मत और निर्माण कार्य उनकी उपस्थिति में भी आसानी से किया जा सकता है। डीएड संघ के एक सदस्य ने कहा, "इस आदेश का कोई तर्कसंगत आधार नहीं है। आचार संहिता केवल रायपुर दक्षिण में लागू है, जबकि नया रायपुर में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है। यह सरकार का अनैतिक तरीका है हमारी हड़ताल को खत्म करने का। हम यहां से हटने वाले नहीं हैं, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।"


डीएड अभ्यर्थी वर्षों से कर रहे हैं संघर्ष

धरना स्थल पर बैठे विभिन्न संगठनों के प्रदर्शनकारी लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। Deld अभ्यर्थियों का कहना है कि वे पिछले दो साल से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद नौकरी के लिए लड़ रहे हैं। "जब तक हमें हमारी नियुक्ति नहीं मिलती, हम यहां से हटने वाले नहीं हैं,।


रिपोर्ट: SOCIETY CG



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