जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक छ.ग. द्वारा स्वीकृत किये जाने वाले ऋण जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के द्वारा मुख्य रूप से तीन प्रकार के ऋण स्वीकृत किये जाते हैं :
- अल्पावधि ऋण :- एक वर्ष के लिए
- मध्यमकालीन ऋण :- तीन से सात वर्षों के लिए
- दीर्घकालीन ऋण :- नौ एवं अधिक वर्षों के लिए
अल्पावधि ऋण भाग - 1
कम समय के लिए लिया गया, अल्पकालीन ऋण कहते है। जो छोटी अवधि के लिए स्वीकृत किया जाता है जो किसानों को एक फसल की बुवाई के लिए दिया जाता है और जैसे ही फसल तैयार हो जाती है तब ऋण की राशि वापिस मांग ली जाती है।रूपे किसान क्रेडिट कार्ड से अल्पकालीन ऋण वितरण :
किसानों को बैंकिंग व्यवसाय से जोड़ने तथा सहजता एवं सरलता से ऋण उपलब्ध कराना उददेश्य से नाबार्ड के निर्देशानुसार किसानों को रूपे किसान क्रेडिट कार्ड जारी किया जाता है तो को जारी किये जाने वाला एक इलेक्ट्रानिक कार्ड है, जिसमें किसान के धारित सिंचित और असिंचित भमि के रकबा अनुसार उसकी स्वीकृत साख सीमा का विवरण दर्ज होता है यह 3 वर्ष हेतु तैयार किया जाता है। इस कार्ड के माध्यम से नगद ऋण सीमा तक राशि का आहरण किया जा सकेगा। स्वीकृत साख सीमा का नवीनीकरण प्रति वर्ष कराना अनिवार्य होगा।
रूपे किसान क्रेडिट कार्ड के लिए पात्रता :-
ऐसे भूमिधारी कृषक जो सहकारी समिति का सदस्य तथा अल्पकालीन ऋण की पात्रता रखता है, जिसे रूपे किसान क्रेडिट कार्ड जारी किया जा सकता है।
रूपे किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने हेतु दिशा निर्देश :
01. कृषक का वर्तमान के दो फोटो प्राप्त किया जावे।।
02. कृषक से आवेदन पत्र एवं प्रोनोट (वचन पत्र) लिया जावे।
03. धारित कृषिभूमि का राजस्व विभाग से प्रमाणित बी-1, पांच साला खसरा प्राप्त किया जावे।
04. धारित भूमि का परीक्षण कृषक के ऋण पुस्तिका से किया जावे।
05. नये कृषक से किसान क्रेडिट कार्ड में ऋण स्वीकृति के पूर्व अन्य बैंकों में ऋण शेष नहीं होने का अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जावे।
06. आधार कार्ड की छायाप्रति
07. बैंक की शाखा में बचत अमानत खाता
रूपे किसान क्रेडिट कार्ड पर सामान्य साख सीमा स्वीकृति पश्चात् पात्रतानुसार ऋण दिया जा सकेगा जो अधिकतम ऋण, नगद 3.00 लाख रू, वस्तु 2.00 लाख रू.कुल 5.00 लाख रू. से अधिक नही होगी।
रूपे किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत, अल्पावधि कृषि ऋण फसलों के लिए अल्पकालीन ऋण एक वर्ष की अवधि के लिए निम्नानुसार दो भागों में दिया जावेगा :
- 01. नगद ऋण
- 02. वस्तु ऋण
(अ) नगद ऋण :
- ऋण का नगदी भाग वितरित करने का प्रमुख उद्देश्य यह है कि कृषक फसल लगाने में होने वाले सामान्य खर्चों की प्रतिपूर्ति कर सके। इन व्ययों में प्रमुख रूप से खेत की तैयारी बोआई, रोपाई. निदाई.
- चलाई, फसल की कटाई तथा मिसाई आदि सम्मिलित है। छोटे कृषक जो स्वयं अपने खेतों में परिवार के सदस्यों सहित काम करते है, अतः उनके श्रम का व्यय भी इसमें शामिल है।
(ब) वस्तु ऋण :
नगद ऋण के अतिरिक्त कृषि में लगने वाली अन्य सामग्री जैसे :- उन्नत बीज, रसायनिक खाद, कीटनाशक औषधियों, खरपतवार नाशक औषधि आदि की भी आवश्यकता होती है। इसके लिए नगद ऋण न दिया जाकर वस्तु रूप में ऋण कषक सदस्य को उपलब्ध कराया जाता हैं।
उपरोक्त ऋणमान राज्य/नाबार्ड से प्राप्त निर्देशानुसार समय-समय पर स्वीकृत किया जावेगा ।
टीप:- शासन से भूमि प्राप्त पटेधारी/कोटवारों एवं संयुक्त देयता समूहों को गतवर्ष की भांति स्वीकृत ऋणमान का 50 प्रतिशत ऋण स्वीकृत किया जावे ।।
अल्पकालीन ऋण की अधिकतम सीमा रूपये 5,00,000.00 होगी, जिसमें से 60 प्रतिशत नगद एवं प्रतिशत सामग्री ऋण दिया जावेगा। सहकारी समितियों के सदस्यों के लिए खरीफ एवं रबी फसलों के रूपे के.सी.सी. ऋण सीमा प्रति हेक्टेयर अनुसार निर्धारित किया गया है । समिति प्रबंधक / समिति के सभी सदस्यों का रूपे के.सी.सी. सामान्य साख सीमा खरीफ फसल एवं रबी फसल में से जाने वाले रकबा अनुसार सामान्य साख सीमा प्रारूप क्रमांक 01 एवं 02 में तैयार कर समिति के प्रबंधकाशि समिति में स्वीकति पश्चात प्रारूप क्रमांक 01, 02 एवं 03 शाखा में स्वीकृति हेतु प्रस्तुत करेंगे।
उत्पादन से ऋण अदायगी एवं ग्राह्य क्षमता
कृषक वर्ष में जो उपज प्राप्त करता है उसमें से कुछ भाग घरेलू आवश्यकता के लिए रखा जाता है, अतिरिक्त उत्पादन को विक्रय कर वह अपनी अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति तथा कर्ज अदायगी के लिए करता है। अतः कृषक की ऋण अदायगी क्षमता कुल (सकल) उत्पादन मूल्य का 50% से 65% तक माना गया है, जिसके अन्तर्गत अल्पकालीन, मध्यमकालीन ऋण शामिल होंगे। सामान्य फसल हेतु अल्पकालीन ऋण के लिए अदायगी क्षमता का 70 प्रतिशत ( अथवा कुल उत्पादन का 35 प्रतिशत ) एवं मध्यमकालीन ऋण के लिए ऋण अदायगी क्षमता का 30 प्रतिशत (अथवा कुल उत्पादन का 15 प्रतिशत) मानी जावेगी। कृषक सदस्य चाहे तो अल्पकालीन एवं मध्यमकालीन ऋण, ऋण अदायगी क्षमता के अन्तर्गत ले सकता है।
उदाहरण :- यदि कषक का कुल (फसल) उत्पादन 100 रू. का अनुमानित होता है तो 35 रू. अल्पकालीन ऋणं तथा 15 रू. मध्यमकालीन ऋण ऋण दिया जावेगा।
नोट :- शासन द्वारा प्रदत्त अनुदान को शामिल कर कृषकों को अल्पावधि ऋण 0 प्रतिशत दर पर उपलब्ध कराया जाता है। कृषक समय पर ऋण अदायगी नही करते हैं तो उन्हें अनुदान की पात्रता नही होगी तथा ऐसी स्थिति में कृषक से निर्धारित ब्याज के साथ दण्ड ब्याज को शामिल कर ब्याज वसूल किया जावेगा ।
बहुफसल उगाने पर ऋण की पात्रता
एक ही रकबे में एक फसल के पश्चात दूसरी फसल उगाने पर निर्धारित ऋण मान के अनुसार अलग से नगद व वस्तुऋण दिया जावेगा। किन्तु खरीफ एवं रबी दोना फसल को मिलाकर अधिकतम ऋण व्यक्तिगत अल्पकालीन नगद एवं वस्तु ऋण की निर्धारित सीमा 5.00 लाख रू. से अधिक नही होगी। अर्थात रूपे क्रेडिट कार्ड पर अधिकतम ऋण, नगद 3.00 लाख रू, तथा वस्तु पर 2.00 लाख रू., कुल 5.00 लाख रू., से अधिक नही होगी।
स्वयं का सिंचाई साधन होने पर रबी फसल में ऋण देने हेतु व्यवस्था
ऐसे कृषक सदस्य जो स्वयं के सिंचाई वाले भूमि पर रबी फसल के लिए ऋण लेना चाहते हैं तो उसे रबी फसल हेतु निर्धारित ऋण मान के अनुसार अल्पावधि ऋण स्वीकृत किया जा सकेगा। ध्यान रहे रबी धान फसल हेतु अल्पावधि ऋण तभी स्वीकृत होगा, जब कृषक के पास स्वयं का सिंचाई साधन हो या सिंचाई विभाग द्वारा नहर से पानी उपलब्ध कराया गया हो तथा खरीफ ऋण की अदायगी कर दिया हो। किसान क्रेडिट कार्ड पर अधिकतम ऋण, नगद 3.00 लाख रू, तथा वस्तु पर 2.00 लाख रू., कुल 5.00 लाख रू. से अधिक नही होगी। रबी फसल दलहन, तिलहन एवं विविध फसलों के लिये स्वीकृत ऋणमान अनुसार बोये गये रकबा का अलग से ऋण स्वीकृत किया जावेगा ।
अल्पावधि ऋण वितरण करते समय ध्यान रखने योग्य मुख्य बातें :
01. कृषक सदस्य को क्षमता से अधिक ऋण स्वीकृत नहीं किया जावे, अन्यथा उसे ऋण पटाने में कठिनाई होगी, और समिति के कालातीत ऋणों में वृद्धि होगी।
02. सदस्यों द्वारा पुराना ऋण समिति में जमा करने एवं समिति द्वारा वसूल धन राशि बैंक में जमा होने के 7 दिन के पश्चात कषक सदस्य को समिति से नये ऋण प्राप्त करने की पात्रता होगी। नये सदस्यों को प्रारंभिक ऋण वितरण करने हेतु यह बंधन लागू नही होगा।
03. समिति के सदस्यों को स्वीकृत सामान्य साख सीमा के अन्तर्गत जिसमें उनके हस्ताक्षर/अंगूठा निशान होंगे, निम्न औपचारिकतायें पूर्ण करने के पश्चात ही ऋण प्राप्ति की पात्रता होगी :
(अ) सदस्य पर समिति अथवा किसी भी बैंक का कालातीत ऋण शेष न हो।
(ब) सदस्य द्वारा उनके ऋण के अनुपात में समिति का अंश क्रय किया गया हो।
04. सदस्यों को ऋण उसकी वास्तविक जोत की भूमि के आधार पर ही दिया जावेगा। कोई भी कृषक नियमानुसार एक ही कृषि साख समिति का सदस्य हो सकता है जहां वह स्थायी निवास करता है, परन्तु ऋण लेने की स्थिति में बैंक के कार्यक्षेत्र के अन्य ग्रामों के उसकी स्वयं की जमीन का भी समावेश किया जावेगा अर्थात उनके नाम पर कुल कृषि योग्य जमीन पर निर्धारित मान से जहां वह स्थायी निवास करता है, उस समिति के माध्यम से ऋण दिया जा सकेगा।
05. पट्टा बटाई एवं ठेके तथा वन ग्रामों में शासन से भूमि प्राप्त पट्टेधारी कृषक सदस्यों को तथा कोटवार को जितनी भूमि पर वास्तविक रूप से कृषि की जा रही है उस पर उन्हें फसल उत्पादन हेतु ऋणमान का अधिकतम 50 प्रतिशत अल्पकालीन ऋण जिसमें 60 प्रतिशत नगद एवं 40 प्रतिशत सामग्री को दिया जा सकेगा, परन्त पडत भूमि पर किसी भी प्रकार का ऋण नही दिया जावेगा। उधारकर्ता सटर को दो पट्टेधारी कृषकों का जमानत प्रस्तुत करना होगा या विभागीय गारंटी इस आशय का करना होगा कि ऋण की वसूली तक पट्टा निरस्त नही किया जावेगा।
06. नाबालिग कृषकों को उनके नाम की जोत पर उनके वैध अभिभावक के हस्ताक्षर से निर्धारित के आधार पर अल्पकालीन ऋण दिया जा सकता है। अभिभावक को निर्धारित सभी फार्मो में हस्ताक्षर करना आवश्यक है। नाबालिग के खातों पर मध्यम एवं दीर्घकालीन ऋण नहीं दिया जावेगा।
07. समिति द्वारा वितरित अ.का. ऋण का फसल बीमा कराना अनिवार्य है। फसल बीमा की प्रीमियम सदस्य के अल्पावधि ऋण खाते को नामे कर बीमा कम्पनी को भुगतान किया जावेगा। प्रीमियम की यह राशि कृषक को अल्पावधि ऋण सीमा के अतिरिक्त स्वीकृत होगी।
08. यदि सदस्य अल्पकालीन ऋण के नगद भाग का उपयोग नगद राशि न लेकर अतिरिक्त लेना चाहे तो उन्हें वह सुविधा दी जा सकेगी परन्तु सामान्यतः वस्तु ऋण का भाग नगद ऋण के में नहीं दिया जावेगा। समिति में उर्वरक, बीज एवं दवाई उपलब्ध नहीं होने पर वित्तदायी बैंक द्वारा प्रति एकड़ दर का निर्धारण कर वस्तु ऋण के स्थान पर नगद ऋण दिया जा सकेगा।
09. पात्र कृषक एक अप्रेल से खाद केन्द्रों से ऋण के रूप में खाद प्राप्त कर सकेंगे।
10. वस्तु का वितरण परमिट द्वारा किया जावेगा। परमिट में समिति प्रबंधक का हस्ताक्षर होना अनिवार्य है।
जहां खाद केन्द्र नहीं है वहां के समिति प्रबंधक अपने हस्ताक्षर का नमूना समीप के खाद वितरण केन्द्र में प्रस्तुत करेंगे, जहां से समिति के सदस्यों को वस्तु ऋण, खाद बीज व कीटनाशक दवा उपलब्ध होगी।
11. शासकीय एवं अर्धशासकीय कर्मचारियों को सहकारी समितियों से ऋण लेते समय सहकारी सोसायटी की धारा 42 के अन्तर्गत संस्था के पक्ष में इकरार नामा निष्पादित करना होगा।
12. कृषकों की जमीन पर समिति का कर्ज होते हुए भी कृषक द्वारा जमीन बिकी किये जाने पर, पंजीयक,भूमि पंजीयन द्वारा विक्रय की पुष्टि कर दी जाती है। अतः ऋण पुस्तिका पर दिये जाने वाले प्रत्येक ऋण एवं अदायगी का उल्लेख समिति को करना अनिवार्य होगा एवं ऋण पुस्तिका के प्रथम पृष्ठ पर "समिति का ऋण भार" संबंधी सील लगाया जावे तथा स्वीकृत ऋण को छ.ग. शासन के भूईयां पोर्टल में अनिवार्यतः प्रविष्टि किया जावे ।
(8) डी.एम.आर. खाता के द्वारा ऋण वितरण नाबार्ड के निर्देशानुसार शाखा स्तर पर खोले गए DMR खाता के द्वारा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के सदस्यों को उनके रकबे के आधार पर स्वीकृत रूपे के.सी.सी. ऋण का भुगतान किया जावेगा।
(9) संयुक्त खाते पर ऋण प्राप्त करने की पात्रता
संयुक्त खाते पर अलग अलग कृषि करने वाले कृषकों को उनकी मांग के अनुसार अलग-अलग ऋण नही दिया जावेगा, बल्कि प्रमुख सदस्य को ही ऋण दिया जावेगा एवं सभी संयुक्त खातेदारों को निर्धारित दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने होंगे। अगर संयुक्त खातेदारों मे से कोई सदस्य कार्यक्षेत्र के बाहर रहता हो और वह समिति कार्यालय आने में असमर्थ हो तो ऐसी स्थिति में उसके प्रभाग की भूमि को छोड़कर मूल सदस्य को शेष जमीन पर निर्धारित मान से ऋण दिया जा सकेगा।
संयुक्त खातेदारों को निम्नानुसार इकारारनामा देना होगा -
उपरोक्त ऋण के संदर्भ में संयुक्त खाते, उपरोक्तानुसार रकबा आदि रहन माना जावे। अगर ऋण अदायगा निधारित समयावधि में नहीं होती है तो ऋणदायी सहकारी समिति, इस भूमि को विक्रय कर दे, तथा प्राप्त राशि से ऋण की वसूली करने का अधिकार सहकारी समिति को देते है तथा सहमति है। उसके पश्चात ही प्रमख सदस्य को ऋण स्वीकत किया जावेगा।
(10) संयुक्त परिवार के सदस्यों को ऋण प्राप्त करने की पात्रता
सयुक्त परिवार में रह रहे एक से अधिक खातेदारों को अपने स्वामित्व की भूमि पर ऋण लेने की पात्रता होगी, बशर्ते कि संयुक्त परिवार के सदस्य एक दूसरे के हिस्सेदार न हो। संयुक्त परिवार में पिता, पुत्र पत्नि, बहू, अविवाहित बहनें एवं भाई होंगे। संयुक्त परिवार के खातों पर पूर्ण सतर्कता के साथ ऋण दिया जावे ताकि वसूली प्रभावित न हो।
(11) आम मुख्तियारनामा पर अल्पकालीन ऋण
यदि कोई कृषक अपनी मापदण्ड की देखरेख के लिए एक आम मुख्यियारनामा लिखकर उन्हें ऋण लेने हेतु अधिकृत करता है तो ऐसे प्रकरणों में कषक को मख्तियारनामा के आधार पर केवल अल्पकालीन ऋण ही स्वीकृत किया जावेगा। इस संबंध में प्रमुख बातें निम्नानुसार है :
01) आम मुख्तियारनामा पर मध्यमकालीन तथा दीर्घकालीन ऋण प्रदान नहीं किया जावेगा।
02) सुरक्षा की दृष्टि से मुख्तियारनामा ऋण अवधि का ही पंजीकृत हो।
02) बैक के विधि सलाहकार द्वारा तैयार किये गये प्रारूप में मुख्तियारनामा तैयार किया जावे।
04) एक मुख्तियार को एक से अधिक कृषक के नाम पर ऋण लेने की पात्रता नहीं होगी।
05) पंजीकृत मुख्तियारनामा में कृषक की कृषि योग्य भूमि जो भू-अधिकार पुस्तिका में अंकित हो उसका उल्लेख होना आवश्यक है।
06) मुख्तियारनामा ऋण लेने की अवधि से कम से कम एक वर्ष के लिए वैध होना चाहिए।
(12) साग सब्जी हेतु ऋण
यह ऋण छोटे (लघु) कृषकों को प्राथमिकता के आधार पर वितरित किया जावेगा, साथ ही जिनके पास सिंचाई की सुविधा हो उसे मद्देनजर रखते हुए ही ऋण स्वीकृत किया जावेगा। इस हेतु प्रत्येक सदस्य का सामान्य ऋण पत्रक तैयार करना अनिवार्य होगा। नदी के किनारे निवास करने वाले ऐसे कृषक जो नदी के कछार में खरबूज/तरबूज अथवा ककडी इत्यादि की फसल लेना चाहते हैं उन्हें उनके स्वयं के कृषि भूमि को बंधक रखकर चार्ट में दिये गये अनसार पात्रता अनरूप अल्पकालीन ऋण दिया जावेगा । इस संबंध में शर्ते निम्नानुसार होगी :यह ऋण दिसम्बर तथा जनवरी अंत तक की अवधि में ही दिया जावेगा। जो कृषक सदस्य नदी के कछार में साग सब्जी का उत्पादन लेना चाहते हैं, उस भूभाग में उत्पादन हेतु राजस्व अधिकारी का प्रमाण पत्र आवश्यक है। ऋण अदायगी की अंतिम तिथि 30 मई होगी, तथा ब्याज की दर अल्पकालीन ऋण के अनसार होगी।
(13) लघु कृषकों का आशय एवं उन्हें ऋण वितरण
- लघु कृषकों का आशय उन समस्त कृषकों से है जिनके स्वयं के नाम पर अधिकतम 5 एकर भूमि हो।
- रिजर्व बैंक के निर्देशों एवं पंजीयक के परिपत्रों को ध्यान में रखते हुए लघु कृषकों को अधिकामिक सदस्य बनाकर ऋण सुविधा दी जावे, ताकि वे आर्थिक दृष्टि से सक्षम हो सकें। इस उद्देश्य से यह निश्चित किया गया है कि बैंक द्वारा स्वीकत सीमा का न्यनतम 25 प्रतिशत ऋण लघु कृषकों को वितरण किया जावेगा।
- समिति भी न्यूनतम 30 प्रतिशत ऋण लघु कृषकों को वितरित करेगी।
ऋण के अनुपात में अंश क्रय (हिस्सा /share) किया जाना
- समिति द्वारा बैंक का अंश क्रय करना : ऋण पर 5 प्रतिशत तथा अन्य कृषकों को दिये जाने
- वाले ऋण पर 15 प्रतिशत के मान से बैंक का अंश क्रय करना अनिवार्य है।
कषक सदस्यों द्वारा प्राथमिक संस्थाओं का अंश क्रय करना : प्राथमिक संसार कृषक सदस्यों द्वारा अल्पकालीन ऋण लेते समय निम्नानुसार अंश क्रय किया जावेगा। लघु कृषकों द्वारा - 5 प्रतिशत अन्य कृषकों द्वारा - 15 प्रतिशत अंश की राशि एक मुश्त वसूल की जावेगी।
समिति द्वारा अल्पावधि सामान्य ऋण साख सीमा पत्रक तैयार करने आवश्यक निर्देश
- समिति द्वारा समस्त सदस्यों के सामान्य ऋण साख सीमा पत्रक बैंक से प्राप्त निर्धारित प्रारूपों में तीन प्रतियों में बनाना होगा।
- भूमि जोत रजिस्टरों में सदस्यों की जमीन का विवरण निर्धारित प्रारूप में सही-सही प्रविष्टि किया जायेगा, जो कि अल्पावधि साख पत्रक के साथ जांच हेतु प्रस्तुत करना होगा। राजस्व विभाग से प्रमाणित बी-1, पांच साला खसरा में जितना सिंचित/असिंचित एवं पड़ती दर्शाया गया हो।
- वही रकबा जमीन जोत रजिस्टर में दर्ज किया जावेगा एवं उसी के आधार पर सामान्य साख सीमा पत्रक तैयार किया जावेगा। उक्त भूमि पंजी की जांच प्रतिवर्ष कराना अनिवार्य होगा।
- यह कार्य समिति की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है।
- सामान्य साख सीमा (N.C.L.) रजिस्टर में कृषक का जमीन जोत एवं सदस्यता क्रमांक इन्द्राज करें।
- बी-1, पांचसाला खसरा में उल्लेखित सिंचित एवं असिंचित जमीन के अनुसार ऋण सीमा की गणन किया जावे तथा कृषक का हस्ताक्षर लिया जावे।
- सामान्य साख सीमा पंजी के अनुसार प्रपत्र 2 तैयार किया जावेगा तथा समिति के प्रबंधकारिणी समिति की बैठक में स्वीकृत किया जावेगा।
- समिति द्वारा स्वीकृत साख सीमा का (N.C.L.) पंजी प्रपत्र 2 एवं प्रपत्र 3 शाखा में प्रोनोट, इकरारनामा सहित प्रस्तुत किया जावेगा, जिसे जांच पश्चात शाखा द्वारा समिति को सामान्य साख सीमा स्वीकृत किया जावेगा।
- शाखा द्वारा समितियों को स्वीकृत सामान्य साख सीमा का बैंक के मुख्य कार्यालय से अनुमोदन प्राप्त किया जाना आवश्यक होगा।
- खरीफ एवं रबी के अल्पावधि साख सीमा पत्रक एक साथ तैयार किये जावेंगे।
- सामान्य साख सीमा पत्रक यद्यपि 3 वर्ष के लिए तैयार किया जाता है किन्तु यदि कृषि आदानों के मूल्यों में परिवर्तन होता है अथवा ऋण वितरण के मापदण्डों में परिवर्तन होता है तो ऐसी स्थिति में सदस्यों के साख सीमा पत्रक नये बनाये जावेंगे।
- अल्पावधि साख पत्रक दो भाग में तैयार किये जावेंगें। प्रथम भाग छोटे कृषकों आर्थात वर्ग 01 तथा द्वितीय भाग बड़े कृषकों अर्थात वर्ग 02 होगा।
- साख सीमा पत्रक तैयार करते समय समिति प्रबंधक इस बात का ध्यान रखेंगे कि साख सीमा पत्रक में गलत एवं अपूर्ण जानकारी न हो।
सदस्य को ऋण वितरण हेतु समिति स्तर पर की जाने वाली कार्यवाही निम्नानुसार होगी:
1. समिति के समस्त कृषकों का सामान्य साख सीमा पत्रक (N.C.L) तीन वर्ष के लिए अनिवार्य किया जावे। कृषक द्वारा धारित भूमि के रकबा में परिवर्तन होने की स्थिति में उस वर्ष कषक का पुरक एन.सी.एल. तैयार किया जावे। इसी प्रकार प्रत्येक वर्ष नये सदस्य का एन.सी.एल. अलग से तैयार जावे।
2. प्रबंधकारिणी समिति से सदस्य का सामान्य साख सीमा (N.C.L) स्वीकृत होने के पश्चात प्रबंधकाशित समिति की स्वीकृति पर ही सदस्य को नया ऋण वितरण किया जावे।।
3. किसान क्रेडिट कार्ड का नवीनीकरण प्रत्येक वर्ष किया जावे।
4. समिति में सदस्यों से पूर्व की भांति ऋण वितरण के समय समस्त वांछित अभिलेख एवं प्रपत्र पर्ण भराया/लिया जावे। समिति के कृषकों के बचत खाता एवं डी.एम.आर. खाता संबंधित शाखा में अनिवार्यतः खोला जावे तथा शाखा में खोले गये उक्त खातों के माध्यम से ही ऋण का आहरण द्वारा किया जावेगा।
5.रूपे किसान क्रेडिट कार्ड योजनान्र्तगत समिति का ऋण आवेदन पत्र निर्धारित प्रारुप में दो प्रति तैयार किया जावे। जिसमें एक प्रति समिति में, सुरक्षित रखी जावे तथा एक प्रति बैंक शाखा को दिया जावे।
6. समिति में सदस्य द्वारा समस्त ऋण औपचारिकतायें पूर्ण करने के पश्चात सदस्य को स्वीकृत ऋण की के अंतर्गत ऋण दिया जावे।
7. सदस्यों को समिति से नगद ऋण राशि वितरण नहीं कर बैंक शाखा कार्यालय में डी.एम.आर माध्यम से ऋण का भुगतान किया जावे।
8. समिति स्तर पर सदस्यों से रूपे किसान क्रेडिट कार्ड हेतु स्वीकृत ऋण सीमा के अंतर्गत नगद : वितरण हेतु सदस्य के नगद साख सीमा की राशि एवं डीएमआर Cash खाता नम्बर की सूची तैयार बैंक शाखा में प्रस्तुत किया जावे।
9. सदस्य द्वारा बैंक मे अपने बचत खाता या केसीसी खाता से एटीएम अथवा आहरण पत्रक द्वारा ऋण राशि का आहरण किया जावेगा।
10. बैंक के केसीसी खाता से नामे किये गये राशि के अनुसार समिति में सदस्यों के ऋण खाते का संधान उसी दिन किया जा सकेगा।
11. बैंक में संधारित किये जाने वाले समस्त ऋण खाता समिति स्तर पर भी संधारित किया जावेगा, तथा बैंक से प्राप्त दैनिक रिपोर्ट के आधार पर उसमें प्रविष्टि की जावेगी।
12. बैंक के खाते से समिति के ऋण खाते में प्रविष्टि का मिलान प्रत्येक माह अनिवार्यतः किया जावेगा।
13. समिति द्वारा सदस्यों को खाद ऋण की परमिट जारी कर वितरण किया जावेगा। खाद वितरण पश्चात समायोजन पत्रक के साथ सदस्य का सामग्री डीएमआर खाता नम्बर बैंक में प्रस्तुत कर समायोजन कराया जावेगा।
(NRLM) राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत स्व-सहायता समूहों को अल्पकालीन कृषि एवं अन्य व्यवसाय हेतु नगदी ऋण सीमा :
प्रथम वर्ष हेतु मौजूदा मूल निधि (Corpus) का 4 गुणा या न्यूनतम 1.00 लाख रू., जो भी
अधिक हो । • द्वितीय वर्ष हेतु समीक्षा/वद्धि के समय मौजदा मल निधि का 8 गुणा या न्यूनतम 2.00 लाख
रू जो भी अधिक हो। तृतीय वर्ष हेतु स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए और फेडरेशन/सहायता एजेंसी द्वारा मूल्यांकित माइक्रो क्रेडिट प्लान तथा पिछले केडिट रिकार्ड के आधार पर न्यूनतम 3.00 लाख रू. दिया जावेगा।
ब) ऋण का उद्देश्य और चुकौती :
एसएचजी द्वारा तैयार किए गए माइको केडिट प्लान के आधार पर सदस्यों के मध्य ऋण राशि वितरित की जाएगी। सदस्यों के द्वारा ऋण का उपयोग, सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति, उच्च लागत वाले कर्ज की अदला-बदली, मकान की मरम्मत या निर्माण, शौचालय का निमोण तथा एचएचजी के अंदर व्यक्तिगत सदस्यों के द्वारा व्यवहार आजीविका प्राप्त करने या एसएचजी द्वारा शुरू किये गये सामूहिक व्यवहार गतिविधि हेतु किया जा सकता है । एसएचजी सदस्यों की आजिविका को बढ़ाने की दृष्टि से ऋण के उपयोग को सुगम बनाने (2.00 लाख रू से ऊपर के ऋण का कम से कम 50 प्रतिशत उपयोग मख्य रूप से आय सृजन करने वाले उत्पादक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। एसएचजी द्वारा तैयार माइक्रो
क्रेडिट प्लान (MCP) ऋण के उददेश्य को निर्धारित करने के लिए आधार तैयार करेगा। • कृषि ऋण की चुकौती वार्षिक होगी शेष ऋण 12 मासिक किश्त में ऋण अदायगी होगी।
स) महिला एनआरएलएम के लिए ब्याज अनुदान योजना :- सभी महिला एनआरएलएम
प्रतिषत वार्षिक की दर पर 3.00 लाख रू तक के ऋण पर ब्याज अनुदान योजना के पात्र होंगे। अपने वर्तमान बकाया ऋणों के अन्तर्गत पहले ही पूंजी सब्सिडी प्राप्त एनआरएलएम योजना के अन्तर्गत लाभ पाने के पात्र होंगे। साथ ही ऋण की तत्परता से चुकौती करने वाले एनआरएलएम योजना को 3 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज सब्वेशन कराया जावेगा जिनका :बकाया शेष 30 दिनों से अधिक समय के लिए निरंतर रूप से सीमा/आहरण शक्ति से अधिक बना ना रहे । खाते में नियमित रूप से जमा/ नामे होना चाहिए। हर हालत में कम से कम एक ग्राहक
क्रेडिट/डेबिट जरूर होना चाहिए। • ग्राहक प्रेरित क्रेडिट नामे डाले गये ब्याज को कवर करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए ।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन स्वयं सहायता समूह की ऋण नीति :
अ)राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन स्व-सहायता समूह गठन एवं उद्देश्य :
01.निर्धनों विशेषतः महिलाओं का सशक्तिकरण स्वालम्बन।
02. आर्थिक आत्मनिर्भरता।
03.आसानी से ऋण की उपलब्धता।
04. साहूकारों/ महाजनों के चंगुल से मुक्ति।
05. बचत की प्रवत्ति को प्रोत्साहन।
06. अभिव्यक्ति के लिए मच।
07. स्वरोजगार का अवसर प्रदान करना। इस प्रकार राष्ट्रीय आजीविका मिशन का उद्देश्य महिलाओं को स्वावलम्बी बनाना है।
ब)राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन स्व-सहायता समूह से बैंक को लाभ :
01. न्यूनतम ब्याजदर पर छोटी-छोटी बचत के रूप में एक बड़ी बचत राशि प्राप्त होना।
02. बैंक व्यवसाय के लिए एक सुनहरा अवसर प्राप्त होना । ( जहां तक अभी तक बैंक की पहुंच नही थी बचत एवं ऋण दोनों क्षेत्र में ) एक समूह में 10 से 20 लाभार्थी होने से बैंक ऋण लागत में कमी होती है।।
03.पिअरप्रेशर ( आपसी दबाव ) के कारण शत प्रतिशत ऋण की वसूली होती है।
04.स्वयं सहायता समूह को प्रदत्त ऋणो के विरूद्ध नाबार्ड द्वारा शतप्रतिशत पुर्नवित्त सहायता प्राप्त होती है।
स) राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन स्व-सहायता समूह का गठन एवं ऋण की शर्ते :
01. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्व-सहायता समूहों को बैंक के माध्यम से ऋण दिया जावेगा।
02. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्व-सहायता समह में सामान्यत: 10 से 20 महिला सदस्य होंगे जो एक ही विचारधारा के तथा लगभग एक समान आय वर्ग के होंगे। समूह के गठन/ खाता खुलने के 6 माह पश्चात् ही ऋण दिया जायेगा।
04. समूह की जमा राशि का अधिकतम चार गना तक ऋण दिया जावेगा। अधिकतम ऋण सीमा 3.00 लाख होगा। समूह की आवश्यकतानुसार समूह के प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर बैंक की ऋण समिति इसस अधिक भी ऋण सीमा निर्धारण करने में सक्षम होगी।
05. समूह को अल्पकालीन ऋण दिया जा सकेगा। अ0 का0 ऋण की कालावधि 12 माह से अधिक नही होगी।
06. ब्याज की गणना अल्पावधि ऋण के लिए त्रैमासिक अर्धवार्षिक एवं वार्षिक के लिए किया जावेगा।
07. ऋण की वसूली :- ऋण के उद्देश्य के आधार पर ऋण की किश्त तक होगी। कषि मत्स्य पालन अथवा ईंट भट्ठा आदि में फसल उत्पादन के समय एकमश्त वार्षिक/अर्धवार्षिक किश्त लिया जावेगा तथा अन्य व्यवसाय जैसे डेयरी, फैंसी/ मनिहारी दुकान, सिलाई मशीन, मसाला उद्योग, दोना पत्तल व्यवसाय, जिसमें रोज का व्यवसाय हो ऐसे ऋणों में मासिक किश्त से वसूली होगी।
08. बैंक का संचालक मण्डल समय-समय पर ब्याज दर का निर्धारण करेगी जिसे स्वयं सहायता समूह को मानना अनिवार्य होगा।
09. "समूह को सामूहिक रूप से, व्यक्तिगत रूप से कार्य करने हेतु ऋण प्रदाय किया जावेगा।
10. बैंक द्वारा ऋण चूककर्ता को यथा संभव ऋण ना दिया जावे। विशेष परिस्थिति में पूर्व ऋण की संपूर्ण वसूली के पश्चात् ही चूककर्ता समूह को ऋण दिया जा सकेगा।
11. बैंक के अधिकारी/पदाधिकारी/ स्टाफ द्वारा गठित महिला समूहों को प्राथमिकता के आधार पर ऋण दिया जावेगा। 12. नाबार्ड के निर्देशानुसार एन0जी0ओ0 (स्वयं सेवी संगठन) या अन्य शासकीय विभागों द्वारा गठित स्व. सहायता समूहों का पूर्ण परीक्षण किये जाने पर ऐसे समूहों को भी ऋण दिया जावेगा। समूह को 1:4 बचत के आधार पर ऋण वितरण किया जायेगा, अतः समूह के खाता व्यवहार को भी दष्टिगत रखा जावे। ऋण के उद्देश्य से ही उसी दिनांक पर बचत तो जमा नहीं किया गया है।
14. समूह को ऋण बैंक उपलब्ध करवायेगी। समूह का खाता बैंक की शाखा में ही खोला जाना है बैंक शाखा से समह को सीधे ऋण वितरण किया जा सकता है। बैंक द्वारा समूह को सीधे ऋण उपलब्ध करवाने पर 7% ब्याज लिया जावेगा। समूह अपने सदस्यों के लिए ब्याज निर्धारण करने में स्वतंत्र होगी।
15. ऋण स्वीकृति का अधिकार :- केवल महिला स्वयं सहायता समूह को ही ऋण दिया जावेगा।
संयुक्त देयता समूह के अंतर्गत ऋण :
उद्देश्य :- इस ऋण का उद्वेश्य उन कृषकों को ऋण उपलब्ध करवाया जाना है जिनके पास अपनी वैयक्तिक क्षमता में बैंक ऋण प्राप्त करने हेतु पर्याप्त जमानत (कोलेटरल) नहीं हैं, जैसे भूमिहीन, लघ सीमांत कषक, रेग पर भूमि लेने वाले कृषक (टेरेन्ट फारमर), मौखिक पट्टेदार (ओरल लेजी ) आदि। संयुक्त देयता समूह के गठन तथा ऋण वितरण के लिए नियम एवं शर्ते निम्नानुसार होगी :
क) समूह सामान्यतः 4 से 5 व्यक्तियों का होगा, जो एक गांव/क्षेत्र का निवासी होंगे। समूह के लिए संयुक्त देयता/व्यक्तिगत ऋण लेने के लिए एक दूसरे से भली-भांति परिचित होना चाहिए और उन्हें आपस में विश्वास करना चाहिए। एक परिवार से केवल एक सदस्य ही समूह में शामिल किया जावेगा। ख) समूह को अथवा उसके सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से निश्चित उददेश्य जैसे - कृषि, मछली पालन,पशुपालन, सिलाई मशीन आदि के लिए ऋण दिया जा सकेगा। समूह के सभी सदस्य एक दूसरे के ऋण जमा कराने के संबंध में आपसी गारंटी लेंगे। चूंकि यह योजना समिति के लिए नया है अतः
समिति कृषि ऋण वितरण से इसका प्रारंभ कर सकती है। ग) इस हेतु ब्याज दर अन्य कृषकों की तरह प्रभारित किया जावेगा, उन्हें कृषि हेतु दिये गये ऋण की तरह
राज्य शासन के योजनान्तर्गत ब्याज राहत की भी पात्रता होगी । घ) समूह द्वारा लिए गए अल्पकालीन ऋण का फसल बीमा कराना अनिवार्य है। बीमा प्रीमियम की राशि
संबंधितों के ऋण खाते से नामे कर कम्पनी को भुगतान किया जावेगा। ड़) ऋण की अधिकतम सीमा 25,000.00 रू प्रति हितग्राही होगी, परन्त ऋण की आवश्यकताओं का आंकलन
पृथक से करना होगा, जिसमें ऋण की अदायगी क्षमता पर विशेष ध्यान देते हुए ऋण की पात्रता निकाली जावेगी। फसल ऋण हेतु ऋण मान का 50 प्रतिशत तक अधिकतम ऋण दिया जा सकता हैं, (जिसका 60 प्रतिशत नगद एवं 40 प्रतिशत वस्तु ऋण होगा) ड्यू दिनांक पर ऋण की अदायगी न
करने पर नियमानुसार 3 प्रतिशत दण्ड ब्याज भी प्रभारित किया जावेगा। च) सयुक्त देयता समूह के गठन को प्रोत्साहित करने हेतु प्रति समूह कषि विभाग द्वारा आर्थिक सहायता
5,000.00 (अक्षरी-पांच हजार ) रू. केवल एक ही बार दिया जावेगा। छ) समूह में बचत भावना का विकास करने के लिए समूह का एक बचत खाता शाखा में खोला जावेगा,
जिसका उन्हें नियमित बचत जमा करने हेतु प्रेरित किया जावेगा। जिसे संयुक्त देयता समूह के संकल्प
द्वारा निर्णित समूह के सदस्यों द्वारा परिचालित किया जावेगा। ज) ऋण स्वीकृति के लिए समिति द्वारा निम्नांकित दस्तावेज/कागजात लिया जावेगा:
समूह/समूह के सदस्यों से लिये जाने वाले कागजात/दस्तावेज :1. आवेदन एवं फोटो 2 प्रति। 2. रेघ पर लिये गये जमीन का वचन एवं सहमति पत्र। 3. वचन पत्र (प्रोनोट)। 4. संयुक्त करार नामा (50 रू. के स्टाम्प में)। 5. संयुक्त देयता समूह की अनुशंसा।
समिति से शाखा द्वारा लिये जाने वाले कागजात/दस्तावेज :1. समिति का ऋण स्वीकृति हेतु प्रस्ताव ।
2. ऋण आवेदन पत्र (इनरशीट)। । 3. प्रोनोट। । 4. इकरार नामा । झ) संयुक्त देयता समूह के लिए ऋण स्वीकृति बैंक के मुख्य कार्यालय द्वारा किये जायेंगे।
पशुपालन एवं मत्स्यपालन करने वाले हितग्राही को अल्पकालीन केसीसी ऋण :
1. उद्देश्यः- पशुपालन और मत्स्यपालन व्यवसाय किसानों तक पहुंचाने हेतु उनके कार्यशील पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए केसीसी ऋण सुविधा प्रदान करने हेतु रिजर्व बैंक के द्वारा 04 फरवरी 2019 को योजना प्रसारित की गई ।
2 प्रयोजन:- पशुपालन, (गौपालन, बकरी पालन, सूकर पालन), मत्स्यपालन (झींगापालन. अन्य जलजीवों, मछली पकड़ने संबंधी) अल्पावधि ऋण आवश्यकताओं के लिए किसान क्रेडिट कार्ड सविधा का उपयोग किया जावेगा ।
3. पात्रताः- किसान क्रेडिट कार्ड के अधीन पशुपालन एवं मत्स्यपालन के लिए लाभार्थियों के मानदण्ड
निम्नानुसार होंगे :
अ. पशुपालन हेतु किसान और डेयरी किसान या व्यक्तिगत या संयुक्त उधारकर्ता, संयुक्त देयता समूह या स्व-सहायता समूह जिसमें वे काश्तकार शामिल है जिनके पास स्वयं के / किराये पर/पटे पर शेड हो पात्र होंगे ।
ब. मत्स्यपालन हेतु मछुवारे, मछली पकड़ने वाले किसान (व्यक्तिगत/समूह / साझेदार/ बटाईदार/ काश्तकार ) स्वयं सहायता समूह, संयुक्त देयता समूह एवं महिला समूह शामिल है जिनके पास स्वयं/पट्टे का तालाब, टैंक, खुले जल निकाय में मछली पालन करते हो और उसके पास आवष्यक लाईसेंस हो ।
4. वित्तमानः
अ. पशुपालन हेतु पशु के चारे एवं अन्य व्यय हेतु अल्पावधि ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 2 गाय/भैंस हेतु न्यूनतम 50 हजार रू. अधिकतम 75 हजार रू तक किसान की ऋण शोधन क्षमता एवं धारित कृषि भूमि के आधार पर अल्पावधि के सी सी ऋण स्वीकृत किया जावेगा ।
ब. मत्स्यपालन हेतु स्वयं/ पट्टे का तालाब, टैंक, खुले जल निकाय में मछली पालन करते हों और उसके पास आवश्यक लाईसेंस हो अल्पावधि ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए 1 हेक्टेयर तालाब हेतु अधिकतम 1.50 लाख रू तक किसान की ऋण शोधन क्षमता एवं धारित कृषि भूमि के आधार पर अल्पावधि के सी सी ऋण स्वीकृत किया जावेगा।
वित्तमान के अन्तर्गत पशुपालन हेतु कार्यशील पूंजी घटक में चारा, चिकित्सा, मजदूरी, बिजली आपूर्ति जैसे आवर्ती लागत मत्स्य पालन हेतु कार्यशील पूंजी घटकों में बीज, चारा, जैव और अजैव उर्वरक, चूना/ अन्य मृदा उपयोगी वस्तु फसल, बिजली आपूर्ति, मजदूरी, लीज किराया, मछली पकड़ने संबंधी आवर्ती लागत शामिल होगा ।
सामान्य दिशा निर्देश :
ऋण सीमा कृषक के गतिविधि में नगद प्रवाह/आय अर्जन के आधार पर तय किये गये ऋणमान के आधार पर स्वीकृत किया जावेगा एवं चुकौती आय अर्जन के आधार पर कृषक से प्रति माह वसूल की जावेगी। विवेकपूर्ण मानदण्ड–आय की पहचान अस्तियों के वर्गीकरण और प्रावधान करने संबंधी भारतीय रिजर्व बैंक से समय-समय पर जारी वर्तमान विवेकपूर्ण मानदण्ड लागू होगा । ब्याज दर-भारतीय रिजर्व बैंक से समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों में किए गए निर्धारण के अनुसार ब्याज लागू होगी । ब्याज अनुदान- केन्द्र शासन का अनुदान भारत सरकार द्वारा पशुपालन एवं मत्स्यपालन करने वाले किसानों को जारी किसान क्रेडिट कार्ड हेतु ब्याज अनुदान उपलब्ध कराने 2.00 लाख रू सीमा तक वितरित किसान क्रेडिट कार्ड (पशुपालक/ मत्स्य पालक) किसानों को अनुदान की पात्रता होगी । जिसमें 7 प्रतिशत वार्षिक रियायती ब्याज दर पर ऋण वितरण करने पर 2 प्रतिशत का अनदान वित्तदायी बैंको को दिया जावेगा एवं ऋण अदायगी डयू डेट के अंदर करने पर 3 प्रतिशत ब्याज दर में अनुदान सहायता दी जाएगी । राज्य शासन का ब्याज अनुदान- राज्य शासन द्वारा जारी ब्याज अनदान के नियम के अनुसार राज्य शासन से भी ब्याज अनुदान की सहायता ऐसे केसीसी धारको को उपलब्ध करायी जाएगी, जो निम्नानुसार है :1 गौपालन- रू. 2.00 की सीमा तक 1 प्रतिशत ब्याज, रू. 2.00 लाख से 3.00 लाख की सीमा तक 3 प्रतिशत ब्याज 2 मत्स्य पालन- रू. 1.00 लाख की सीमा तक 1 प्रतिशत ब्याज, रू. 1.00 लाख से 3.00 लाख की सीमा पर 3 प्रतिशत ब्याज हितग्राहियों का चयन कलस्टर में किया जाना उपयुक्त होगा। पशुपालन विभाग के मैदानी कर्मचारी से समिति सहायता प्राप्त कर सकती है। गौपालन के लिए हितग्राही चयन करते समय स्थानीय दुग्ध सहकारी समिति की सहायता ली जा सकती है। गौपालन हेतु केसीसी मिल्क रूट के आधार पर ही किसान क्रेडिट कार्ड स्वीकृत किया जावे ।
18 समिति द्वारा निर्धारित प्रारूप में कृषक से संबंधित विभाग की अनुशंसा सहित आवेदन प्राप्त करें, आवेदन प्राप्त होने के पश्चात समिति प्रबंधक/प्रभारी के द्वारा स्थल निरीक्षण करें। उपयुक्त पाए जाने पर बैंक में प्रचलित ऋणमान के आधार पर समिति के संचालक मंडल के द्वारा सामान्य साख सीमा स्वीकृत की जावेगी। समिति के संचालक मंडल द्वारा स्वीकृति पश्चात शाखा के माध्यम से मुख्य कार्यालय को प्रेषित किया जावेगा। मुख्य कार्यालय स्तर पर ऋण सीमा स्वीकृत किया जावेगा। मख्य कार्यालय से ऋण सीमा स्वीकृति के बाद शाखा स्तर पर किसानवार DMR खाता खोलें एवं तत्पश्चात स्वीकृत साख सीमा की प्रविष्टि करें। पशपालन एवं मत्स्यपालन हेतु जारी केसीसी एक वर्ष हेत स्वीकत किये जाएंगे। किसान द्वारा खाते का संचालन सही तरीके से करने एवं ऋण का भुगतान समय पर करने की स्थिति में समिति / बैंक संतुष्ट होने पर इस सुविधा का नवीनीकरण एक वर्ष हेतु पुनः किया जा सकेगा।
केसीसी धारक किसानों से ऋण के अनुपात में 5 प्रतिशत अंश प्राप्त करना होगा। . इस योजना में समय पर ऋण अदायगी नही होने की स्थिति में कृषकों से दण्ड ब्याज लिया जावेगा। केन्द्र शासन से इस योजना के अन्तर्गत ब्याज अनुदान का लाभ लेने हेतु आधार लिंकेज अनिवार्य होगा । प्रचार-प्रसार योजना का बैंक/ समिति के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार करें, जिससे समिति के अधिक से अधिक किसान सदस्य लाभान्वित हो सके । अल्पावधि फसल ऋण हेतु किसान क्रेडिट कार्ड योजना में उल्लेखित अन्य दिशा निर्देश यथावत रहेगें।
लिंकिंग की सुविधा :
शासन के निर्देशानुसार समितियों द्वारा धान खरीदी का कार्य समर्थन मूल्य पर किया जाता है निर्धारित अवधि तक सभी कृषकों को अपने कर्ज की अदायगी लिंकिंग के माध्यम से करने की सुविधा प्राप्त होगी।
(24) ग्रामीण अमानतों का संकलन
01. कृषक सदस्यों से अनिवार्य अमानतें संग्रहण की प्रथा समाप्त कर दी गई है।
02. ग्रामीण अंचलों से अमानतों का संकलन करने एवं समितियों की आर्थिक दशा सुधारने हेतु सहकारी समितियों में बचत बैंक की स्थापना की गई है। पंजीयक महोदय के निर्देशानुसार बचत अमानत संकलन किया जावेगा। बचत अमानत संकलन का कार्य करने वाली समितियां बैंक के समान ब्याज दर पर बचत अमानत पर भुगतान करेगी।
अल्पावधि तकाबी ऋण वितरण व्यवस्था
शासन की ओर से समय-समय पर अल्पावधि तकाबी का आबंटन प्राप्त होने पर उनके शर्तों के अनुरूप सहकारी समितियों के माध्यम से सदस्यों को ऋण स्वीकृत किया जावेगा।
अल्पावधि कृषि ऋणों की अदायगी तिथियां
सदस्यों के लिए
खरीफ ऋण हेतु 15 मार्च
रबी ऋण हेतु 15 जून
ग्रीष्मकालीन धान हेतु 15 जून
समितियों के लिए
खरीफ ऋण हेतु मार्च का अंतिम शुक्रवार
रबी ऋण हेतु जून का अंतिम शुक्रवार
पपीता हेतु ऋण की अदायगी 10 माह, गन्ना ऋण की अदायगी अवधि 15 माह, और केला ऋण की अदायगी अवधि 15 माह से अधिक नही होगी।