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हर्बिसाइड (खरपतवार नाशक) ग्लाइफोसेट : Glyphosate Ban


Glyphosate Ban : ग्लाइफोसेट पर बैन करने के लिए सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. 

ग्लाइफोसेट को एक प्रभावी और सस्ता खरपतवारनाशक माना जाता है. इसलिए व्यापक रूप से इसका इस्तेमाल होता है. पिछले काफी समय से यह विवादों में है.

भारत सरकार, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, ने इंसानों, व जानवरों के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरों और जोखिम को देखते हुए हर्बिसाइड (खरपतवार नाशक) ग्लाइफोसेट और इसके अवयव के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। दुनियाभर के किसान कई वर्षों से सुरक्षित और प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं। फसलों में खरपतवार को समाप्‍त करने के लिए भारत में इसका काफी इस्तेमाल होता है लेकिन हर्बिसाइड Glyphosate से कैंसर होने का खतरा बताया जाता है. 



कृषि मंत्रालय द्वारा जारी एक नोटिफिकेशन में कहा गया है, Glyphosate का इस्तेमाल बैन है और कोई भी व्यक्ति, पेस्ट कंट्रोल ऑपरेटर्स (PCO) को छोड़कर ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल नहीं करेगा. कंपनियों को ग्लाइफोसेट और उसके डेरिवेटिव के लिए दिए गए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेटको रजिस्ट्रेशन कमिटी को वापस करने के लिए कहा गया है. जिससे लेबल और लिफलेट पर बड़े अक्षरों में चेतावनी को शामिल किया जा सके. नोटिफिकेशन में कहा गया, पीसीओ के माध्यम से ग्लाइफोसेट फॉर्मूलेशन के लिए अनुमति दी जाएगी.

समस्त पंजीकृत कीटनाशक विक्रेताओं (पेस्ट कन्ट्रोल ऑपरेटर्स को छोड़कर) को इन उत्पाद के भण्डारण वितरण न करने तथा कृषकों को भी उपयोग न करने के लिए अपील की गई है।


3 महीने में वापस करने होंगे सर्टिफिकेट्स

 यदि कोई व्यक्ति जिसके पास पंजीकरण प्रमाण पत्र है खण्ड -3 में निर्दिष्ट 03 महीने की अवधि के भीतर पंजीकरण समिति का प्रमाण पत्र वापस करने में विफल रहता है तो उसके विरूद्ध कीटनाशी अधिनियम, 1968 के तहत् नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। लाइफोसेट और इसके अवयव का उपयोग प्रतिबंधित है और कोई भी व्यक्ति, कीट नियंत्रण परिचालकों (पेस्ट कन्ट्रोल ऑपरेटर्स) को छोड़कर ग्लाइफोसेट का उपयोग नहीं करेगा।


सरकार ने कंपनियों को सर्टिफिकेट्स वापस करने के लिए 3 महीने का समय दिया है. Insecticides Act, 1968 के प्रावधानों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसमें कहा गया है कि राज्य सरकारों को इस आदेश के क्रियान्वयन के लिए कदम उठाने चाहिए. Glyphosate को प्रतिबंधित करने वाली अंतिम अधिसूचना 2 जुलाई, 2020 को मंत्रालय द्वारा एक मसौदा जारी किए जाने के दो साल बाद आई है. इस खरपतवार नाशक के डिस्ट्रीब्यूशन, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए केरल सरकार की एक रिपोर्ट के बाद मसौदा जारी किया गया था.

बढ़ जाएगी खेती की लागत

इस कदम का विरोध करते हुए, एग्रो-केमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया (ACFI) के महानिदेशक कल्याण गोस्वामी ने कहा, ग्लाइफोसेट-आधारित फॉर्मूलेशन उपयोग करने के लिए बहुत सुरक्षित हैं. भारत सहित दुनियाभर में अग्रणी नियामक प्राधिकरणों द्वारा इसका परीक्षण और सत्यापन किया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि केवल कीट नियंत्रण परिचालकों के माध्यम से ग्लाइफोसेट के उपयोग को सीमित करने का कोई तर्क नहीं है, जिनकी ग्रामीण क्षेत्रों में कोई उपस्थिति नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पीसीओ के माध्यम से इसके उपयोग को सीमित करने से किसानों को असुविधा होगी और खेती की लागत भी बढ़ेगी.

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